ग्राम पंचायत कुशलिया
पंचायती राज व्यवस्था और उसके स्थानीय 29 विषय
संविधान की ग्यारहवी अनुसूची में दिए गए कार्य
इस सूची में निम्न 29 कार्य पंचायती राज संस्थाओं को दिए गए हैं।
- कृषि और कृषि विस्तार
- भूमि सुधार, भूमि सुधारों को लागू करना, चकबंदी और भूमि सुरक्षा।
- लघु सिंचाई, जल व्यवस्था और वाटरशेड(पानी के बहाव) का विकास।
- पशुपालन, डेयरी और मुर्गी पालन
- मछली पालन
- सामाजिक वानिकी और फार्म फॉरेस्टरी
- लघु वन उत्पादन
- लघु उद्योग जिसमें कृषि उत्पादन को प्रोसेस करने का उद्योग भी शामिल है।
- खादी ग्रामीण और कुटीर उद्योग
- ग्रामीण आवास व्यवस्था
- पेयजल(पीने के पानी) ईंधन और पशुचारे की व्यवसथा
- सड़कें पुलिया, पुल, राजवाहे और आने-जाने के अन्य साधन की व्यवस्था करना।
- ग्रामीण विद्यतीकरण जिसमें बिजली की सप्लाई भी शामिल है।
- गैर-परंपरागत उर्जा स्रोत
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- शिक्षा जिसमें प्राईमरी और माध्यमिक शिक्षा भी शामिल है।
- पंचायत स्तर की तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा
- प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा
- पंचायत स्तर पर पुस्तकालय
- सांस्कृतिक कार्यक्रम
- मंडियाँ और मेले
- स्वास्थ्य और स्वच्छता जिसमें अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और डिस्पैंसरी भी शामिल है।
- परिवार कल्याण
- महिला और बाल कल्याण
- समाज कल्याण जिसमें विकलांगों और मंदबूद्धि व्यक्तियों का कल्याण भी शामिल है।
- कमज़ोर वर्गों का कल्याण विशेषकर अनूसूचित और जन-जाति के वर्ग के लोगों का कल्याण
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली
- सामुदायिक सम्पति(पंचायत की संपत्तियों) की देखभाल और रख-रखाव।
पंचायतों के कार्य और चुनौतियां
भले ही 29 विषयों की सूची पंचायतों को दी गई जिन पर योजना बनाने, क्रियान्यवयन करने और मूल्यांकन करने की शक्ति ग्रामसभा के हाथ में आ गई। लेकिन समस्या यह है कि ग्राम सभा की नियमित बैठकें ही नहीं हो पाती हैं। इस वजह से इन विषयों पर न कोई सर्व सम्मति से योजना बन पाती हैं और न ही उस पर सामूहिक रूप से विचार-विमर्श ही हो पाता है।
संक्षेप में कहें तो भारतीय प्रशासन में शक्ति केंद्र से स्थानीय निकायों यानी पंचायत तक प्रवाहित होती है, आज पंचायतों को भी कुल 29 विषयों पर कार्य योजना बनाने का अधिकार है, जिसके लिए आप पंचायत प्रतिनिधियों से बात कर संबंधित विषय पर कार्य योजना बनाने को कह सकते हैं