कुशलिया का परिचय

वर्तमान कुशलिया का पूर्ववर्ती नाम खैराबाद था। जो कि वर्तमान आबादी से दूर पूर्व दिशा में 800 मीटर दूर आबाद था। सन 1760 ई० में मराठों द्वारा दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण किया गया,आक्रमण करने के लिये मराठी सेना द्वारा दिल्ली के चारो ओर छावनी बनाई गईं। मराठी महिला सेनापति कौशल देवी की की अस्थायी चौकी का निर्माण कुशलिया (खैराबाद) के पश्चिम में किया गया था।
सन 1761 ई० में अहमद शाह अब्दाली द्वारा मराठों को पराजित कर शक्तिविहीन करदिया गया। तथा दिल्ली सल्तनत मुगलों के सुपर्द करदी गयी। अहमद शाह अब्दाली द्वारा विभिन्न स्थानों पर जमींदार नियुक्त किये गये थे। जिसमें कुशलिया (खैराबाद) में भी जमींदार (पठान) नियुक्त किया गया।
जमींदार द्वारा कौशल देवी के लिए बनाए गए अस्थायी चौकी पर निवासित होने की वजह से दूर स्थित आबादी भी धीरे धीरे ऊंचे टीले के पास रहने लगी। जिस कारण खैराबाद का नाम कुशलिया पड़ गया। कुछ पुराने जानकार लोगो का यह भी कहना है कि खैराबाद का हिन्दी रूपान्तर कुशलया अथवा कुशलिया होगया।

सन 1764 ई० में दिल्ली सल्तनत पर अंग्रेज़ो का कबजा होगया। मुगल राजाओं और नवाबों की अंग्रेज़ शासन द्वारा पैंशन व्यवस्था लागू हुई। सन1857 ई० के स्वतन्त्रता संग्राम के बाद अंग्रेज़ो द्वारा मुगलों व सय्यदों को चुन चुन कर मारा जाने लगा। मेरठ जिले के परगना मिसबाहपुर में मुगलों और सय्यदों का वर्चस्व था। वहां के मुग़लो और सैय्यद लोगों की कुछ सन्तानों को कुशलिया के पठानों द्वारा संरक्षण दिया गया। जिनके परिवारों का विस्तार होता चला गया। इसी प्रकार बनिये , जाटव, माली, गडरिये, तेली, बढ़ई आदि जाति के लोग भी निवासित होते रहे। बनिये कुशलिया में ज़मीदार की हैसियत पर रहे। अंग्रेजों द्वारा नील की खेती कराई जाती थी। नील कोठी (फैक्टरी) के अवशेष खण्डहर आज भी कुशलिया में मौजूद हैं। कुशलिया पूर्व से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। आजादी से पूर्व गांव में कई लोग ग्रेजुएट थे। तथा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत रहे। कुशलिया के बाबू जी अब्दुल करीम खान द्वारा शुरू की गई शिक्षण संस्था 'आज़ाद मै मोरियल इण्टर कालिज' के रूप में डासना में स्थापित है। दिल्ली में संसद भवन तथा दिल्ली लखनऊ राजमार्ग में भी कुशलिया के ठेकेदार उसमान खान का अहम योगदान रहा है।

विभाजन के पश्चात सन 1949-50 में डॉ बशीर अहमद गांव में निवासित होगये। जिनकी गांव के प्रथम डॉक्टर के रूप में पहचान बनी। विद्या प्रचारणी सभा (आजाद मै मोरियल ) 1952 के प्रथम अध्यक्ष भी नियुक्त हुए।

गांव के बहुत सारे लोग सरकारी पदों पर नियुक्त रहे जिसमे मुख्यत: प्रथम इंजीनियर - लाला ओमप्रकाश । प्रथम लेखपाल (पटवारी) - बरकतउल्लाह खाँ । प्रथम पुलिसकर्मी (वन विभाग) - फय्याज़ खान। प्रथम पुलिसकर्मी (जेल विभाग) - सुशील उर्फ टीटू। प्रथम दिल्ली पुलिस - मुश्ताक बैग। प्रथम आर्मी थल सेना - विजय पाल। प्रथम वायु सेना - ।

इसके अतिरिक्त अनेकों संख्या में शिक्षक नसीर अहमद, गजनफरुल्लाह खान, साजिद अय्यूब, जहीर अहमद, अजीजुर्रहमान खान, शफीकुर्रहमान खान, अफ़ज़ाल अहमद, रोशनआरा, जहाँगीर बैग, एजाज़ अहमद खान आदि लोगो ने सेवाएं दी हैं।

वर्तमान में कस्टम विभाग में ज़ाकिर अहमद, राज्यसभा सचिवालय में आकिब खान, सेवाएं दे रहे हैं

भौगोलिक विवरण

गाजियाबाद जिला मुख्यालय से 10 किमी उत्तरपूर्व दिशा में बसा है। कुशलिया का सम्पूर्ण क्षेत्रफल लगभग 8150 बीघा है। जिसमे से लगभग 650 बीघा में (नहर एवं रजवाहा) नहरवे के अधीन है

कुशलिया की वर्तमान आबादी लगभग 7855 है। जिसमे लगभग 67 प्रतिशत मुस्लिम एवं 33 प्रतिशत हिन्दू हैं। गांव की आय का मुख्य स्त्रोत कृषि है। गांव में गेहूं , धान, मक्का, सरसों आदि फसलों को मुख्य रूप से उगाते हैं। इसके अतिरिक्त सब्जी भी अधिक मात्रा में पैदा की जाती है